अमिताभ प्रसाद सिंह/दिल्ली मेल
सुशील चौधरी
नई दिल्ली। पिछले कई सालों से लगातार दिल्ली की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। किन्तु इसके अनुसार संसाधनों में वृध्दि नहीं हुईं। इसे सरकारी उपेक्षा कहें या अदूरदर्शिता अभी तक किसी भी सरकार ने भविष्य की दिल्ली को लेकर योजना नहीं बनाई। जिसका खामियाजा आज जनता भुगत रही है। दिल्ली में पानी की कमी कोई नई बात नहीं है। साल दर साल गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत होती आ रही है। पर्याप्त बिजली और इसके आने वाले बिल लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है, बरसात के दिनों में जल भराव, लगातार धस रहीं सड़कें, प्रदूषण के कारण हर साल लोगों के घुटते दम, रोज जगह-जगह लगने वाला जाम, अस्पतालों में बढ़ रही भीड़, एक छोटे से काम के लिए सैकड़ों रुपये घुस, स्कूल में एडमिशन के लिए भटकना, रोजगार के लिए भाग-दौड़ करते युवा आदि-आदि अनेकों ऐसे विषय हैं जिनके स्थाई समाधान की दिशा में आज भी कोई योजना नहीं है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले सालों में यह संकट और भी बढ़ेगा। यह कहना है उत्तर-पूर्वी जिला भाजपा कोषाध्यक्ष सुशील चौधरी का। जो दिल्ली की विभिन्न समस्याओं पर हमारे साथ बात-चीत कर रहे थे।
सुशील चौधरी ने कहा, 2012 में भ्रष्टाचार को लेकर हुए आंदोलन से निकली एक पार्टी दिल्ली से भ्रष्टाचार, बिजली, पानी की समस्या दूर करने के मुद्दे को लेकर सत्ता में आई। इसने बिजली और पानी मुफ्त देने की घोषणा की। किन्तु आज भी लोग पर्याप्त पानी के लिए तरस रहे हैं। सरकार ने यह दावा तो कर दिया है कि राजधानी के लगभग 93 प्रतिशत इलाकों में पानी की पाईप लाईन बिछा दी गई है किन्तु वास्तविकता यह है कि लोग आज भी टैंकर के पानी पर निर्भर हैं। 2014 से पहले पानी के टैंकरों पर सरकार 1109 करोड़ रूपये खर्च करती थी जो आज बढ़ कर 1783 करोड़ रूपये हो गया है। कैसे जब कि इतने बड़े इलाके में पानी की पाईप लाइन बिछा दी गई है? मुफ्त बिजली देने का दावा कर कमर्सियल बिजली पर मनमाना चार्ज आज भी वसूला जा रहा है। छोटे-छोटे काम धंधा करने वाले जो लोग घर की बिजली सस्ती जला रहे हैं वहीं अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में कई गुना अधिक बिजली बिल दे रहे हैं फिर वह फ्री कैसे हुई? आज भी दिल्ली बिजली के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। भ्रष्टाचार पर बात करते हुए सुशील चौधरी कहते हैं, आज भी किसी भी सरकारी विभाग में चले जाएं बिना घुस दिए आप का काम नहीं होता। सरकार पर भी डीटीसी बस खरीद में घोटाला, जल बोर्ड में घोटाला समेत अनेक कामों में अनियमितताएं होने के आरोप लग रहे हैं।
सुशील चौधरी कहते हैं, दिल्ली में हुई पहली बारिश के कारण जिस प्रकार जल भराव देखने को मिला उससे पता चलता है कि राजधानी का ड्रेनेज सिस्टम कितना खराब हो चुका है। राजधानी की लगभग सभी सीवर अपनी क्षमता से अधिक दबाव में काम कर रहे हैं। यही वजह है कि कॉलोनियों से निकलने वाली नालियों का पानी जाम होकर ओवरफ्लो होने लगता है जिसके कारण गंदगी फैलती है और ठिकरा एमसीडी के सर पर फूटता है। इस सिस्टम को ठीक करने के लिए कोई दूरगामी योजना नहीं है। सड़कों की हालत यह है कि पहली बारिश में हीं कई जगह धस गर्इं। वह भी इस तरह की उसके अन्दर गाड़ी तक समा गई। इसका अर्थ तो यही है कि जिन सड़कों पर भारी-भारी बाहन चल रहे हैं उनके नीचे की जमीन खोखली हो चुकी है। ऐसे में कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। आखिर सड़कों की गुणवत्ता से समझौता किस स्तर पर हो गई?
अस्पताल और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने का दावा करने वाली दिल्ली सरकार की पोल कोविड की दूसरी लहर में हम देख चुके हैं। इस दौरान बेहतर प्रबंधन नहीं होने के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई। सुशील चौधरी कहते हैं, राजधानी की परिवहन व्यवस्था की हालत हम सभी जानते हैं। सड़कों पर गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिसके कारण जाम लगने वाले जगहों की संख्या भी बढ़ रही है। इसका कारण सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का फेल होना है। आवश्यक बसों की संख्या आज भी कम है, मेट्रो निर्माण कार्य को तेज करने और नई सार्वजनिक परिवहन सेवाएं शुरू करने पर आज भी सरकार विचार नहीं कर रही। ऐसे में आगे चलकर यह समस्या और विकराल रूप ले लेगी और हमारे पास इसे संभालने के लिए कोई दूरगामी योजना नहीं होगी।
सुशील चौधरी कहते हैं, दिल्ली की आप सरकार सपने बेचने वाली सरकार है। इसने यमुना को टेम नदी और दिल्ली को लंदन बनाने का दावा कर सत्ता हथिया तो ली किन्तु लगभग सात साल बीत जाने के बाद आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में विफल रही है।